नहीं जानती कब और कहा से , दूर आसमान से टूटते सितारे की तरह , एक ख्वाब आहिस्ता से आकर मेरी इन सूनी आँखों से होते हुए दिल में समां गया ।
न लम्बी चौड़ी गुफ्तगू न कोई कस्मे वादे पर फिर भी अनकही सी ठेरों बातें जो आँखों ही आँखों में हो जाती है दोनों को कभी लफ्जों की दरार नहीं लगी ख़ामोशी ही हमारी जुंबा बन गयी ।
कोई किसी के मिलाने से खुश है और किसी से मिलाने से दुखी है कोई दिल का हाल बयां कर इत्मीनान की साँस ले रहा है और किसी का सुकून खो जाता है ।
किसी के लिए महज ये एक शब्द है और किसी के लिए जज्बात के अहसास से भरी बेशकीमती पोटली जिसमे है यादें गुजरे वक़्त की आज भी सांसे लेती हुई है।।
Nidhi mishra –
Very excited to read full story…