पुस्तक का प्रथम संस्करण पाठकांे के समक्ष प्रस्तुत करते हुए लेखक को विशेष प्रसन्नता की अनुभूति होना स्वाभाविक है। जैसा कि विदित है कि अन्तर्राष्ट्रीय समाज ने अपने अस्तित्व की संरक्षा तथा राजनीतिक, आर्थिक सहयोग और युद्ध की विभीषिका से निजात पाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की स्थापना की है, जिनके प्रति राष्ट्रों ने अपने कटिबद्धता आपसी आदान-प्रदान के माध्यम से व्यक्त किया है। आज के परिप्रेक्ष्य में यह दृष्टिगोचर होता है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन द्वारा राज्य एक दूसरे के निकट आये हैं क्योकि यह उनकी आर्थिक व्यवस्था की सुदृढ़ता से सम्बद्ध है। यद्यपि अभी विकासशील देशों के हित में विकसित राष्ट्रों द्वारा बहुत कुछ किया जाना शेष है, जिसके लिए वार्ताओं से कुछ आशायें बढ़ी है। 2003 में विश्व पर्यटन संगठन का संयुक्त राष्ट्र के 17वाँ विशिष्ट अभिकरण के रूप में विश्व पटल पर उदित होना एक क्रांतिकारी विकास है। ‘‘बहुराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय निवेश गांरटी एजेंसी’’ की वाशिंगटन में स्थापना से विकासशील राष्ट्रों में पूंजीनिवेश बढ़ना स्वाभाविक है क्योकि निवेश की गांरटी विश्व बैंक द्वारा सत्यापित है। यद्यपि यह अभी संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण नहीं बन सका है फिर भी 193 राष्ट्रों द्वारा इसकी सदस्यता ग्रहण कर लेना, इस दिशा में एक शुभ संकेत है। साउथ सूडान देश 193वंे स्थान पर है। ‘‘क्षेत्रीय न्यायालयों के गठन तथा उनकी कार्यप्रणाली’’ के विषय में लेखक ने सुझाव दिया है कि यद्यपि ये न्यायालय वर्तमान समय में ‘‘क्षेत्रीय अन्तर्राष्ट्रीय विधि’’ का प्रतिपादन कर क्षेत्रीय समस्याओं का निदान कर रही है, परन्तु भविष्य में क्षेत्रीय विधि द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय विधि में विषमता होने पर उन न्यायालयों द्वारा निर्णित मामलों की अपील का प्रावधान अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में होना श्रेयस्कर होगा। संयुक्त राष्ट्र का मूल्यांकन, व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सी.टी.बी.टी.) तथा अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों कों सम्मिलित किया गया। पुस्तक में उपरोक्त विषयों के अतिरिक्त, लगभग अन्य सभी अध्यायों की विषय सामग्री को विस्तृत किया गया है। ऐतिहासिक भूमिका के साथ अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के विषय में उनके वर्तमान कार्य प्रणालियों का भी विस्तृत अध्ययन किया गया है। आशा है कि पाठकगण प्रथम संस्करण को विशेष रूचि से स्वागत करें क्योकि विषय का अध्ययन इसमें विस्तार एवं सारगर्भित ढंग से किया गया है।
Author's Name | |
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Binding | Paperback |
Pages | 396 |
Size | |
Language | Hindi |
Publisher | Nalanda Prakashan |
Release Year |
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